विद्या रेखा

Vidya Rekha
विद्या रेखा

विद्या रेखा का महत्व यह दर्शाता है कि हम कब कितना पड़ पाते है कितना नही। हमारी प्राम्भिक शिक्षा से लेकर हमारी कॉलेज तक की शिक्षा का पूरा पता चलता है। क्या हम पढाई के लिए विदेश जायेंगे ? क्या हमारी पढ़ाई पूरी होगी कि नहीं इस रेखा से पता चलता है।

* विद्या रेखा का हमारे हाथ की अनामिका एवं मध्यमा उंगली के बीच से होता है और सूर्य की ऊँगली के बीच से होता है । यह रेखा का हलकी सी अनामिका उंगली की तरफ होती है ।

* जिन लोगो के हाथों में यह रेखा होती है वे गरीब से गरीब घर में जनम लेकर अच्छी शिक्षा पराप्त करते है और अपनी पूर्ण शिक्षा पराप्त करते है ।

* विद्या रेखा पर काला चिन्ह होना भी पढ़ाई के गलत माना जाता है ।

विद्यार्थियों के लिए विद्या प्राप्ति टोटके, मन्त्र और दान:

1. प्रातः स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थान में जाएं और एक माला गायत्री मंत्र का जाप करें।

2. सफलता प्राप्ति करने हेतु किसी पुष्य नक्षत्र के दिन दो पंचमुखी रुद्राक्ष लाएं और साथ ही एक छः मुखी रुद्राक्ष लाएं और उसे इस प्रकार लाल धागे में धारण करें कि छः मुखी रुद्राक्ष बीच में रहे।

3. प्रातः काल स्नानादि करके पूजा स्थल में जाकर रामचरित मानस की इस पंक्ति को 108 बार जपें " गुरु गृह गये पठन रघुराई, अल्पकाल विद्या सब आई"

4. काली मिर्च, सोंठ, इलायची और चीनी मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाएं और इसे घी में मिलाकर गोलियां बनाएं और प्रतिदिन दो गोली रात्रि को सोते समय दूध के साथ लें। स्मरण शक्ति के साथ एकाग्रता भी बढ़ेगी ।

5. बृहस्पतिवार के दिन एक तस्वीर माता सरस्वती की भी घर लाएं और उसे अपने अध्ययन कक्ष की उतरी दीवार या पूर्वी दीवार पर लगाएं और रोज उसके समक्ष खडे होकर धूप करें व निम्न मंत्र का जाप करें - ऊँ मां सरस्वती विद्या देवी नमो नमः ।

6. प्रतिदिन जब आप अध्यन के लिए बैठते हैं तो उससे पूर्व अपनी कलम को माथे से लगाएं और पुस्तकों के समक्ष हाथ जोड़कर बोले - ऊँ गुरवै नमः मंत्र पढ़ें फिर अध्ययन शुरु करें ।

7. बृहस्पतिवार के दिन किसी गरीब बच्चे को पुस्तक, कापी, पैंसिल आदि दान करें।

8. रात्रि के समय भोजन के पश्चात् एक पान में इलायची, सौंफ, एक लौंग और चीनी मिलाकर रोटी के साथ बैल को दें।

9. गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन तांबे पर उकेरित बृहस्पति यंत्र घर में लाएं। उसे पीले कपड़े पर पूर्णतः गंगाजल से शुद्ध करके पूजा घर में रखें और बृहस्पति कवच का रोज पाठ करें ।

10. रोज रविवार को छोड़कर पीपल के वृक्ष में ऊँ बृहस्पतयै नमः का नाम जाप करते हुए जल चढ़ाएं और 3 परिक्रमा करें ।

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