शुक्र का स्वरूप: : शुक्र की प्रतिमा श्वेत वर्ण की होनी चाहिए जिसकी चार भुजाएं हो।
विशेष- श्वेत चावलों की वेदी के पूर्व में शुक्र देव की स्थापना करनी चाहिए। शुक्र के अधिदेव इन्द्र माने गए हैं। शुक्र को घी-भात का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
शुक्र का मंत्र (Shukra Graha Mantra in Hindi): ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते पुष्पदंत तीर्थंकराय |
अजितयक्ष महाकालियक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: |
शुक्र महाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 16000 जाप्य ||
मध्यम यंत्र- ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं शुक्रग्रह अरिष्ट निवारक श्री पुष्पदंत जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा || 11000 जाप्य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो अरिहंताणं || 10000 जाप्य ||
तान्त्रिक मंत्र- ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: || 16000 जाप्य ||