गुरु महाग्रह मंत्र - Guru Graha Mantra
बृहस्पति का स्वरूप: : बृहस्पति देव की चार भुजाएं हैं, तीन भुजाओं में दण्ड, रुद्राक्ष की माला और कमण्डलु तथा चौथी भुजा वरमुद्रा में है। बृहस्पति की प्रतिमा पीले रंग की होनी चाहिए।
विशेष- श्वेत चावलों की वेदी के उत्तर में बृहस्पति देव की स्थापना करनी चाहिए। बृहस्पति के अधिदेव भगवान ब्रह्मा माने जाते हैं। बृहस्पति को दही-भात का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
बृहस्पति का मंत्र (Brihaspati Grah Mantra in Hindi): ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते वर्धमान तीर्थकराय मातंगयक्ष |
सिद्धायिनीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: गुरु महाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू फट् || 19000 जाप्य ||
मध्यम यंत्र- ऊं औं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं गुरु अरिष्ट निवारक ऋषभ अजितसंभवअभिनंदन सुमति सुपार्श्वशीतल श्रेयांसनाथ अष्ट जिनेन्द्रेभ्यो नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा || 19000 जाप्य
लघु मंत्र - ऊं ह्रीं णमो उवज्झायाणं || 10000 जाप्य ||
तान्त्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: || 19000 जाप्य ||